लेखनी कविता - सफ़र की हद है वहाँ तक कि कुछ निशान रहे

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सफ़र की हद है वहाँ तक कि कुछ निशान रहे सफ़र की हद है वहाँ तक कि कुछ निशान रहे| चले चलो के जहाँ तक ये आसमान रहे| ये क्या उठाये ...

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